आप सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं
यह दीपावली आपके परिवार और आपके जीवन में खुशियों की ढेर सारे अवसर लाए
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है
दीपावली (संस्कृत : दीपावलिः = दीप + अवलिः = दीपकों की पंक्ति, या पंक्ति में रखे हुए दीपक)
यह आसो मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है
दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। आसो मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।
इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए
दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है
* दीपावली का त्यौहार करीब 6 दिन का होता है
> पहला दिन वाक बारस/ बाघ बारस
> दूसरा दिन धनतेरस
> तीसरा दिन नरक चतुर्दशी
> चौथा दिन दीपावली
> पांचवा दिन गोवर्धन पूजा/ नया साल
> छठ्ठा दिन भाई दूज
धनतेरस
* कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है
* हिंदू मान्यताओं के अनुसार धन्वन्तरि भगवान विष्णु के अवतार है इन्हें देवताओं का चिकित्सक माना जाता है
* भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है
* जैन आगम में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं
* भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये
* धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है
* कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है
* इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं
* धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है
* भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है
* लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं
* धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है
* यम देवता ने कहा है कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है
* धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है
* धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें
धनवंतरी
* धन्वन्तरि हिन्दू धर्म में एक देवता हैं
* ये सैन (नाई) राजबनश कै है वे महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ
* हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं
* इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था
* शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है
* इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था
* इन्हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं
* उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं
* दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं
* इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है
* इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं
* इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी
* इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे
* सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी
* सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) थे
* दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं
* कहते हैं कि शंकर ने विषपान किया, धन्वंतरि ने अमृत प्रदान किया और इस प्रकार काशी कालजयी नगरी बन गयी
* वैदिक काल में जो महत्व और स्थान अश्विनी को प्राप्त था वही पौराणिक काल में धन्वंतरि को प्राप्त हुआ
* जहाँ अश्विनी के हाथ में मधुकलश था वहाँ धन्वंतरि को अमृत कलश मिला, क्योंकि विष्णु संसार की रक्षा करते हैं अत: रोगों से रक्षा करने वाले धन्वंतरि को विष्णु का अंश माना गया
* विषविद्या के संबंध में कश्यप और तक्षक का जो संवाद महाभारत में आया है, वैसा ही धन्वंतरि और नागदेवी मनसा का ब्रह्मवैवर्त पुराण में आया है
* उन्हें गरुड़ का शिष्य कहा गया है -
सर्ववेदेषु निष्णातो मन्त्रतन्त्र विशारद:।
शिष्यो हि वैनतेयस्य शंकरोस्योपशिष्यक:।।
* भगवाण धन्वंतरी की साधना के लिये एक साधारण मंत्र है:
ॐ धन्वंतरये नमः॥
नरक चतुर्दशी
* नरक चतुर्दशी एक हिंदू त्योहार है
* नरक चतुर्दशी को काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है
* यह दीपावली के एक दिन पहली आती है इसलिए इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है
* यह हिंदू कैलेंडर अश्विन महीने की विक्रम संवत्में और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदहवें दिन) को मनाया जाता है
* इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है
* हिन्दू साहित्य बताते हैं कि असुर (राक्षस) नरकासुर का वध कृष्ण, सत्यभामा और काली द्वारा इस दिन पर हुआ था
* इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाया जाता है शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार की अर्द्घ रात्रि में देवी अंजनि के उदर से हनुमान जन्मे थे
* यह दिन सुबहधार्मिक अनुष्ठान, उत्सव और उल्हास के साथ मनाया जाता है
* कहा जाता है कि इस दिन प्रातःकाल सूर्य के उगने से पहले जागकर अभ्यंग स्नान करना लाभदायक होता है और जो लोग इस दिन स्नान करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और साथ में ही उसका सौन्दर्य भी बढ़ जाता है
* इस दिन शाम के समय यमराज जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है
* छोटी दिवाली यानि नरक चतुर्दशी वाले दिन घर के बाहर दीया जलाकर यमराज की पूजा की जाती है
* अमूमन छोटी दिवाली अमावस्या की रात को पड़ती है और अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज होते हैं अमावस्या की रात चांद नहीं दिखाई पड़ता है और चांद ना निकलने की वजह से कही भटक ना जाएं इसके लिए एक बड़ा दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है
* दीपक जलाने की विधि
> घर के सबसे बड़े सदस्य को एक बड़ा दीया जलाना चाहिए
> इस दीये को पूरे घर में घुमाएं
> घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं
> घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें
* इस दिन कड़वा फल तोड़ने का भी रिवाज होता है और कहा जाता है कि इस फल को तोड़ना नरकासुर की हार का प्रतीक होता है
* छोटी दीवाली के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। जहां सुंदर और स्वच्छ प्रवास होता है, वहां लक्ष्मी जी अपने कुल के साथ आगमन करती हैं
दीपावली (पर्व)
* दीपावली भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है
* दीपावली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है
* दीपावली दुनिया के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है
* दीपावली हिंदुओं के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है
* दीपावली को हिंदुओं के साथ साथ सिख बौद्ध जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं
* दीपावली को लगभग 800 मिलियन लोग विभिन्न तरीकों से मनाते हैं
* दीपावली भारत के अलावा त्रिनिदाद, टोबैगो, म्यांमार, नेपाल, मारिशस, गुयाना, सिंगापुर, सूरीनाम, मलेशिया, श्रीलंका और फिजी देशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है
* दीपावली पर भारत समेत 12 देशों में राष्ट्रीय छुट्टी होती है
* दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप अर्थात दिया व आवली अर्थात लाइन के मिश्रण से हुई है
* "शुभ दीपावली" दीपावली का प्रसिद्ध ग्रीटिंग कार्ड है जिसका अर्थ आपकी दीपावली शुभ हो
* भारत के कुछ जगहों पर दीपावली को नए साल की शुरुआत भी माना जाता है
* ओडिशा और पश्चिम बंगाल में हिंदू लक्ष्मी माता की जगह काली की पूजा करते हैं और इस त्योहार को काली पूजा कहते हैं
* दीपावली में पटाखों पर लगभग एक अरब डॉलर रुपया खर्च हो जाता है
* दीपावली का त्योहार प्रदूषण के लिए जाना जाता है
* जैन धर्म के मुताबिक महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस दीपावली है
* कुछ लोग दीपावली पर नए बही खातों का शुभारंभ करते हैं
* सिक्खों के लिए दीपावली इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था
* दीपावली का त्यौहार वर्षा ऋतु के जाने के बाद शीत ऋतु के आगमन का भी इशारा करता है
* दीपावली को बुराई पर अच्छाई अंधकार पर प्रकाश अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय से जोड़कर देखा जाता है
* लोग इस दिन अपनी बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाते हैं
* कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इसी दिन अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था
* भारत के कुछ हिस्सों में हिंदू दीपावली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं
* 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष दिवाली के मौके पर दिए जलाये जाते थे और नवदंपति को तोहफे देते थे
* दीपावली मनाने का कारण यह है कि इसी दिन भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे
* पश्चिमी देशों में क्रिसमस पर जितनी खरीदारी होती है उतनी ही दीपावली पर भारत में होती है
* मलेशिया में दीपावली को Hari Diwali के रूप में मनाया जाता है
* नेपाल में दिवाली पर यमराज की पूजा होती है
* भारत में दीवाली पर कई कंपनियों के प्रोडक्ट की बिक्री करीब दोगुनी हो जाती है
* पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरणकश्यप का वध किया था
गोवर्धन पूजा
* गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक त्यौहार है
* दीपावली की अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है
* लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं
* इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया जाता है इन पकवानों को 'अन्नकूट' कहा जाता है
* इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है
* इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है
* गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है
* इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है
* गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है
* शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा
* गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है
* देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं
* इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है
* गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की
* जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली (कनिष्ठा) पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे
* सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा
भाई दूज
* भाई दूज हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध त्यौहार है
* भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है
* इसे यम द्वितीया भी कहते हैं
* भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला पर्व है
* यह भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है
* कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया
* वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे
* उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई
* जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है
* पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है
* समझदार लोगों को इस तिथि को अपने घर मुख्य भोजन नहीं करना चाहिए उन्हें अपनी बहन के घर जाकर उन्हीं के हाथ से बने हुए पुष्टिवर्धक भोजन को स्नेह पूर्वक ग्रहण करना चाहिए तथा जितनी बहनें हों उन सबको पूजा और सत्कार के साथ विधिपूर्वक वस्त्र, आभूषण आदि देना चाहिए
* सगी बहन के हाथ का भोजन उत्तम माना गया है उसके अभाव में किसी भी बहन के हाथ का भोजन करना चाहिए
* यदि अपनी बहन न हो तो अपने चाचा या मामा की पुत्री को या माता पिता की बहन को या मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को भी बहन मानकर ऐसा करना चाहिए
* बहन को चाहिए कि वह भाई को शुभासन पर बिठाकर उसके हाथ-पैर धुलाये गंधादि से उसका सम्मान करे और दाल-भात, फुलके, कढ़ी, सीरा, पूरी, चूरमा अथवा लड्डू, जलेबी, घेवर आदि (जो भी उपलब्ध हो) यथा सामर्थ्य उत्तम पदार्थों का भोजन कराये
* भाई बहन को अन्न, वस्त्र आदि देकर उससे शुभाशीष प्राप्त करे
* कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है
* कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं
* इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं
* एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं
* रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्योहार है जिसे भाई-बहन बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं
* जहां रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है
* इस दिन भाइयों को चावल खिलाये
पटाखा
* पौराणिक कथाओ की माने तो राम के वनवास से आने पर अयोध्यावासीयो ने अतिशबाजी की थी लेकिन
* वैज्ञानिको के अनुसार, करीब 2000 साल पहले चीन मे हुए केमिकल रिएक्शन से पटाखो की खोज हुई।
* एक बार एक चीनी कुक से गलती से पोटैशियम नाइट्रेट, सल्फर और कार्बन पाउण्डर का थोड़ा सा मिश्रण आग मे गिर गया इससे तेज आवाज के साथ लपटे निकली।
* इसे हुओ याओ या फायर केमिकल नाम दिया गया।
* एक चीनी भिक्षु ने इस घटना से प्रेरणा ले एक बांस की खोखली छड़ी मे इस मिश्रण को भर कर आग मे फेका जिससे जोरदार विस्फोटट हुआ और इस तरह बांस का पटाखा जन्मा।
* करीब 1200ई. मे इस मिश्रण को टिश्यू पेपर ट्यूब मे फ्यूज डालकर सौ ब्रेक बनाया गया। फ्यूज मे आग लगाने पर वह उड़कर आकाश मे जाकर विस्फोट के साथ रंग बिरंगी चिँगारिया फैलाया और ऐसे बना था पहला रॉकेट पटाखा।
* 19 वीँ सदी मे पटाखे पूरे यूरोप और एशिया मे पहुंच गया। ये पटाखे मनुष्य के लिए बहुत ही खतरनाक हुए।
* भारत में पटाखों की शुरुआत मुगल काल से हुई
* पटाखो के गर्मी से आंखो की कॉर्निया जलती है जो फिर कभी भी ठीक नही होती।
* पटाखो का शोर 130-140 डेसिबल तक तेज होता है जबकि बच्चे के लिए केवल 85 डेसिबल ही लाभदायक होता है।
* पटाखे त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं
* पटाखो के गैस वायुमंडल मे मिलकर पर्यावरण को नुक्सान पहुँचाते है।
* दीपावली का एक दिन का उत्साह लोगो और पर्यावरण को करीब एक हफ्ते तक नुक्सान पहुँचाता है।
* विडंबना देखिए सरकारी मानक के अनुसार पटाखो से ध्वनि प्रदुषण होता है पर वायु प्रदुषण के लिए कोई मानक नही है।
* भारत मे पटाखो का सबसे बड़ा उद्योग तमिलनाडु के शिवकाशी मे है जहां भारत के कुल पटाखो का 90 फीसदी पटाखोँ का निर्माण 8 हजार बड़े छोटे कारखानो मे होता है।
* दीपावली पर लगभग 1 अरब डॉलर का पटाखों का कारोबार होता है
* औरंगजेब ने 8 अप्रैल 1667 को पूरे भारत में पहली बार पटाखों पर बैन लगा दिया था
* आपको बता दें कि दीपावली जैसे त्यौहार का पटाखों या आतिशबाजी से कोई रिश्ता नहीं है
* पटाखे सबसे अधिक बुजुर्गों गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक होता है
* पटाखों के धुंध यानी स्मॉग से घबराहट, सांस फूलना, आंख में जलन, खांसी, ह्रदय और फेफड़े जैसी दिक्कतें दमा और गले में संक्रमण आदि के खतरे होते हैं
* जानकारों के मुताबिक दीपावली की आतिशबाजी के कारण दिल का दौरा, रक्तचाप नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे बढ़ जाती है
* सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पटाखों को जलाने के लिए समय निर्धारित कर दिया उसके अनुसार अब दीपावली पर केवल रात 8:00 से 10:00 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं और क्रिसमस तथा न्यू ईयर पर रात 11:45 से 12:30 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं
* ग्रीन पटाखे वह पटाखे होती है जिनसे प्रदूषण नहीं या कम होता है
शुभ-लाभ
* भारतीय धर्म और संस्कृति में शुभ-लाभ का नाम बहुत ही मंगलमय है
* हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश जी को देवों में सर्वप्रथम पूज्य 'बुद्धि का देवता' हैं
* शिवपुत्र गणेशजी को देवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया है
* दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है
* ऋग्वेद में ‘गणपति’ शब्द आया है यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है
* विघ्ननाशक गणेश ने प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियों ऋद्धि और सिद्धि से शादी की थी
* रिद्धि शब्द का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं। ठीक इसी तरह सिद्धी इस शब्द का अर्थ होता है 'आध्यात्मिक शक्ति' की पूर्णता यानी 'लाभ'
* भगवान गणेश को दो पुत्र हुए जिसमें सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’
* लोक-परंपरा में भगवान गणेश के पुत्रों को ही शुभ-लाभ कहा जाता है
* कोई भी मंगल कार्य में इनका नाम जरूर प्रयोग किया जाता है
* कहते हैं कि इन दोनों में कुबेर की शक्तियां समाहित हैं
* समस्त यज्ञों की उत्पत्ति शुभ-लाभ से हुई मानी जाती है
* शुभ-लाभ में सिद्धि, विद्या, सुमति और संपत्ति का निवास बताया गया है
* गणेशजी के पुत्रों के नाम हम 'स्वास्तिक' के दाएं-बाएं लिखते हैं
* 'स्वास्तिक' बुद्धि को प्रस्तुत करने का पवित्र चिन्ह है
* घर के मुख्य दरवाजे पर हम 'स्वास्तिक' मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में और शुभ और लाभ बायीं तरफ लिखते हैं
मां लक्ष्मी
* लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं
* वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं
* लक्ष्मी धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं
* दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है
* गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है
* जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता
* स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी 'श्री' कहा गया है यह सद्गुण जहाँ होंगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं सकेगी
* पदार्थ को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने और उसकी अभीष्ट मात्रा उपलब्ध करने की क्षमता को लक्ष्मी कहते हैं
* यों प्रचलन में तो 'लक्ष्मी' शब्द सम्पत्ति के लिए प्रयुक्त होता है, पर वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है, जिसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है
* मात्रा में स्वल्प होते हुए भी उनका भरपूर लाभ सत्प्रयोजनों के लिए उठा लेना एक विशिष्ट कला है
* वह जिसे आती है उसे लक्ष्मीवान्, श्रीमान् कहते हैं शेष अमीर लोगों को धनवान् भर कहा जाता है
* गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी ह। जो इसे प्राप्त करता है, उसे स्वल्प साधनों में भी अथर् उपयोग की कला आने के कारण सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नता बनी रहती है
* धन का अधिक मात्रा में संग्रह होने मात्र से किसी को सौभाग्यशाली नहीं कहा जा सकता
* सद्बुद्धि के अभाव में वह नशे का काम करती है, जो मनुष्य को अहंकारी, उद्धत, विलासी और दुर्व्यसनी बना देता है
* सामान्यतः धन पाकर लोग कृपण, विलासी, अपव्ययी और अहंकारी हो जाते हैं
* लक्ष्मी का एक वाहन उलूक माना गया है। उलूक अथार्त् मूखर्ता
* कुसंस्कारी व्यक्तियों को अनावश्यक सम्पत्ति मूर्ख ही बनाती है उनसे दुरुपयोग ही बन पड़ता है और उसके फल स्वरूप वह आहत ही होता है
* माता महालक्ष्मी के अनेक रूप है जिस में से उनके आठ स्वरूप जिन को अष्टलक्ष्मी कहते है प्रसिद्ध है
* लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं
* वह कमल के आसन पर विराजमान है
* लक्ष्मी के एक मुख, चार हाथ हैं
* वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं
* दो हाथों में कमल-सौन्दयर् और प्रामाणिकता के प्रतीक है
* दान मुद्रा से उदारता तथा आशीर्वाद मुद्रा से अभय अनुग्रह का बोध होता है
* लक्ष्मी का एक नाम कमल भी है इसी को संक्षेप में कला कहते हैं
* लक्ष्मी प्रसन्नता की, उल्लास की, विनोद की देवी है वह जहाँ रहेगी हँसने-हँसाने का वातावरण बना रहेगा
* लक्ष्मी सौन्दर्य की देवी है। वह जहाँ रहेगी वहाँ स्वच्छता, प्रसन्नता, सुव्यवस्था, श्रमनिष्ठा एवं मितव्ययिता का वातावरण बना रहेगा
* समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी निकलीं। लक्ष्मी जी ने स्वयं ही भगवान विष्णु को वर लिया
No comments:
Post a Comment
comment about blog, quiz, certificate.
my work