जन्म: 19 सितंबर 1965
जन्म स्थान: यूक्लिड, ओहियो (यूएसए)
मूल निवासी: अहमदाबाद, गुजरात (भारत)
पिता का नाम: डॉ। दीपक पंड्या (न्यूरोनेटोमिस्ट)
माँ का नाम: बोनी पंड्या
पति का नाम: माइकल जे। विलियम्स
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर को ही हुआ था। अमेरिकी नौसेना की अधिकारी सुनीता विलियम्स को नासा ने अंतरिक्ष यात्रा पर भेजा था। अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में 19 सितंबर, 1965 को जन्मीं सुनीता विलियम्स ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिन तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व रेकार्ड बनाया और एक महिला यात्री के तौर पर सबसे ज्यादा बार अंतरिक्ष में चहलकदमी करने का रिकार्ड भी एक समय उनके नाम पर था। आइए आज जानते हैं उनसे जुड़ीं कुछ खास बातें…
उनका जन्म 19 सितंबर, 1965 को ओहायो प्रांत में हुआ। उनके पिता का ताल्लुक गुजरात से है और मां स्लोवेनिया से हैं।
* सुनीता विलियम्स ने साल 1983 में मैसाचुसट्स में नीधम हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी की।
* उन्होंने यूनाइटेड स्टेट नेवल अकादमी से फीजिकल साइंस में बैचलर डिग्री ले रखी है और इंजिनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री कर रखी है।
* मई 1987 में उनको अमेरिकी नौसेना में शामिल किया गया।
* छह महीने के अस्थायी असाइनमेंट के बाद उनको बेसिक डाइविंग अफसर नियुक्त किया गया।
*1992 में उनको तूफान राहत अभियान का प्रभारी अफसर बनाया गया।
* उन्होंने 30 तरह के विमानों में 3000 से ज्यादा घंटे उड़ान भरी है।
* 1998 में सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्षयात्रा के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
* 9 दिसंबर, 2006 को उन्हें एक्सपीडिशन 14 क्रू में शामिल होने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र भेजा गया।
* बाद में उन्होंने एक बार बताया कि वह अंतरिक्ष में अपने साथ भगवद गीता, भगवान गणेश की एक मूर्ति और समोसा ला गेई थीं।
* उन्होंने 31 जनवरी, 4 फरवरी और 9 फरवरी, 2007 को अंतरिक्ष में चहलकदमी की।
* सुनीता विलियम्स के नाम अंतरिक्ष में किसी महिला द्वारा की जाने वाली सबसे ज्यादा चहलकदमी का रेकॉर्ड है।
उन्होंने 7 बार स्पेसवॉक किया।
* सबसे लंबा स्पेसवॉक का रेकॉर्ड उनके नाम है जो 50 घंटे और 40 मिनट का था।
* उन्होंने अपने दो शटल मिशन में करीब 322 दिन गुजारे।
* 16 अप्रैल, 2007 को अंतरिक्ष में ही बोस्टन मैराथन में हिस्सा लेने वाली पहली व्यक्ति सुनीता विलियम्स बन गईं।
* सन 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। उन्हें 15 जुलाई 2012 को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। वह 17 सितंबर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनाई गईं। ऐसा करने वाली वह सिर्फ दूसरी महिला हैं। सितंबर 2012 में ही उन्होंने अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाला पहला व्यक्ति बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर वापस लौट आईं।
* सुनीता विलियम्स का विवाह माइकल जे विलियम्स से हुआ है। माइकल एक संघीय पुलिस अधिकारी हैं।
* पुरस्कार और सम्मान
सुनीता विलियम्स नौसेना के जहाज की चालक, हेलिकॉप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, मैराथन धाविका और अंतरिक्ष यात्री हैं। उनकी उपलब्धियों के लिए उनको कई सम्मान से नवाजा गया है जो निम्न हैं...
नेवी कमेंडेशन मेडल
नेवी ऐंड मरीन कॉर्प अचीवमेंट मेडल
ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल
मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन
साल 2007 में विलियम्स को सरदार वल्लभभाई पटले विश्व प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सन 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की
सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा 'गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स' प्रदान किया गया
सुनीता विलियम्स भारत और दुनिया के लिए वो चमकता सितारा हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में 195 दिनों तक रहने का रिकॉर्ड बनाया। वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव कल्पना चावला के पास है। सुनीता का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। आपको बता दें कि उनका पूरा नाम सुनीता लिन पांड्या विलियम्स है। उनके पिता दीपक पाण्डया अमेरिका में एक डॉक्टर हैं, जिनका संबंध गुजरात के अहमदाबाद से है जबकि उनकी मां बॉनी जालोकर पांड्या स्लोवेनिया की हैं। उनके पिता 1958 में भारत से बोस्टन आ गए थे। दो अंतरिक्ष मिशनों का अनुभव रखने वाली सुनीता पहली महिला हैं, जिन्होंने 50 घंटे तक स्पेस वॉक करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है यानी यह वॉक स्पेस शटल या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में नहीं, बल्कि बाहरी स्पेस में था।
जुलाई में एक वेबनियर के दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो कभी स्पेस में जाएंगी। कोलंबिया हादसे के बाद नासा ने भी इसको रोक दिया था। लेकिन फिर एक के बाद एक दो बार उन्हें स्पेस में जाने का मौका मिला। इसी दौरान उन्होंने बताया था कि अंतरिक्ष यान में बैठकर स्पेस में पहुंचने में केवल दस मिनट का समय लगता है, इसके बाद जो नजारा सामने होता है वो शानदार होता है। एक वाकये के बारे में उन्होंने बताया था कि जब वो पहली बार स्पेस में गई थीं तब दस मिनट के बाद उनके कमांडर ने उन्हें ऊपर बुलाया और बाहर का नजारा देखने को कहा। सुनीता ने जब खिड़की से बाहर झांका तो पृथ्वी का दूसरा हिस्सा नीला और सफेद नजर आ रहा था।
सुनीता ने मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल पास करने के बाद 1987 में संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल सांइस में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एमएस की डिग्री हासिल की। जून 1998 में उनका अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और फिर ट्रेनिंग शुरू हुई। सुनीता सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हैलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। सुनीता विलियम्स ने सितंबर-अक्टूबर 2007 में भारत आईं थीं। सुनीता के पति माइकल जे विलियम्स उनके सहपाठी रह चुके हैं। वे नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटाने वाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धावक और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। सुनीता को वर्ष 2008 में भारत पद्म भूषण से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल, नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।
सुनीता विलियम्स के पिता गुजरात और मां स्लोवेनिया से हैं। लेकिन सुनीता का जन्म अमेरिका के ओहियो में हुआ था।
उन्होंने यूनाइटेड स्टेट नेवल एकेडमी से फिजिकल साइंस में बैचलर डिग्री और इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
उनकी शादी संघीय पुलिस अधिकारी माइकल जे विलियम्स से हुई है।
1987 में सुनीता विलियम्स को अमेरिकी नौसेना में शामिल किया गया था।
यहां वह बेसिक डाइविंग ऑफिसर नियुक्त हुई थीं।
सुनीता विलियम्स ने करीब 30 तरह के विमानों में 3 हजार घंटों से ज्यादा की उड़ान भरी है।
अंतरिक्ष यात्रा के लिए सुनीता विलियम्स का प्रशिक्षण 1998 में शुरू हुआ।
लंबे प्रशिक्षण के बाद 9 दिसंबर 2006 को उन्हें एक्सपीडिशन 14 क्रू में शामिल होने का मौका मिला। तब वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS - International Space Station) गईं।
19 सितंबर 1965 को हुआ था सुनीता विलियम्स का जन्म
अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहली शख्स हैं सुनीता विलियम्स
अंतरिक्ष ही नहीं, नौसेना और उड़ान भरने में पराक्रम दिखा चुकी हैं सुनीता विलियम्स
कार्यक्रम
नासा के मुताबिक, सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगियों का अंतरिक्ष केंद्र में कार्यक्रम बहुत व्यस्त होगा.
इनमें दो स्पेस वॉक, जापानी और अमरीकी वाणिज्यिक और रूसी आपूर्ति यानों का शोध शामिल है.
विलियम्स ने दो मिशनों पर अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं; वह महिलाओं के लिए सर्वकालिक अमेरिकी धीरज सूची में दूसरे स्थान पर हैं। 50 घंटे और 40 मिनट के साथ, वह एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा कुल संचयी स्पेसवॉक समय की सूची में दूसरे स्थान पर है।
सुनीता और उनकी टीम नवंबर के मध्य में धरती पर वापस लौटेगी.
188 दिनों की अब तक की सबसे लंबी अंतरिक्ष यात्रा, खुले अंतरिक्ष में चार बार बाहर निकलकर चहल-क़दमी और इस दौरान अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर शून्य में तैरते हुए बिताए 29 घंटे और 17 मिनट- ये सारी उपलब्धियां सुनीता अपने नाम पहले ही दर्ज करा चुकी हैं.
सुनीता का चयन 1998 में नासा ने किया था.
उन्हें एक्सपिडिशन-14 की सदस्य के तौर पर 2006 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में काम सौंपा गया था और बाद में वह एक्सपिडिशन-15 से जुड़ गईं.
वह अंतरिक्ष में इतना समय बिताने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं.
जबकि अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं. उनसे पहले दिवंगत कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी थीं.
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