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"જો તમારી અંદર પ્રતિભા હોય તો તમે જરૂર સફળ થશો પછી ભલે પરિસ્થિતીઓ કેટલી પણ વિપરીત કેમ ન હોય તે તમને સફળતાની ઉડાન ભરવાથી ક્યારેય રોકી શકશે નહી"

30 January, 2021

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह

 

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह 

 18 जनवरी - 17 फरवरी




राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह  भारत में प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। वर्ष 2015 में यह दिवस 11 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया गया था।

 राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन प्रत्येक वर्ष 11 जनवरी से लेकर 17 जनवरी तक मनाया जाता हैं।

'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह' के तहत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से आमजन को यातायात नियमों की आधारभूत जानकारी मिलती है। 

आकस्मिक कारक के रूप में सड़क दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत चालकों की गलती से होती हैं। 

इस गलती के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्‍तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज़ गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हर साल जनवरी के दूसरे सप्ताह (National Road Safety Week) में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाता है, लेकिन वर्ष, 2021 में सरकार ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह की जगह राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह (National Road Safety Month) मनाने का निर्णय किया है।


18 जनवरी 2021 से 17 फरवरी 2021 तक मनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा माह की इस बार की थमी ‘सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा’ तय की गई है।


 इस अवधि के दौरान देश भर में केंद्र/राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों प्रशासन, और अन्य के संगठनों साथ मिलकर देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 

  • 2017 में कुल 4.64 लाख रोड एक्सीडेंट रिकॉर्ड हुए। उनमे 4.7 लाख लोग घायल व 1.47 लाख लोगो की मौत हुई।
  • 2017 में रोड एक्सीडेंट की वजह से हर 10 मिनट में 3 व्यक्तियों की मौत हुई।
  • इनमे से 35,975 लोगो की मौत हेलमेट न पहनने से व 28,896 लोगो की मृत्यु सीट बेल्ट न पहनने की वजह से हुई।
  • रोड सेफ्टी 2018 पर ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाले घातक परिणाम के बढ़ते ही जा रहे हैं।
  • दोपहिया चलाते समय हेलमेट और चार पहिया चलाते समय सीट बेल्ट का आवश्यक प्रयोग करना चाहिए, ऐसा करने से आप अपने आपको बड़ी दुर्घटना होने से सुरक्षित रख सकते हैं।
  • सभी वाहन चालकों को सभी प्रकार के आवश्यक दस्तावेज जैसे: ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र, इंसुरेंस प्रमाण पत्र, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र इत्यादि को अपने साथ यातायात यात्रा के दौरान अवश्य रखें।
  • सभी वाहन चालकों को कभी भी वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • जब भी वाहन चालक अपने वाहन को स्टार्ट करें उस समय हैंडब्रेक को हटाना बिल्कुल भी ना भूले।
  • वाहन चलाते समय वाहन चालक को किसी भी प्रकार का नशा जैसे: शराब, सिगरेट, बीड़ी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से आप खुद को एवं अन्य वाहन चालक को दुर्घटनाग्रस्त कर सकते हैं।
  • सभी वाहन चालकों को अपनी निर्धारित लेन में चलना चाहिए यदि उनको लेन बदलना है, तो इस परिस्थिति में उनको इंडिकेटर या फिर हाथ के संकेतों का इशारा करना चाहिए।
  • कभी भी आप वाहन चलाते वक्त बार-बार उसके होने का प्रयोग ना करें


सड़क सुरक्षा नियम 2020(Motor Vehicle Act 2020 )

1989 मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन किया गया है। जो कि 1 अक्टूबर 2020 से लागू किया जाएगा। इन संशोधनों में कई सारे मुख्य बदलाव किए गए। हैं जैसे कि अब आपको भौतिक दस्तावेजों को हर जगह ले जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने सभी दस्तावेज तथा ड्राइविंग लाइसेंस की सॉफ्ट कॉपी अपने पास रख सकते हैं। यह फैसला डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया है। मोटर वाहन अधिनियम में कई और संशोधन किए गए हैं जिसमें से कुछ मुख्य संशोधन कुछ इस प्रकार हैं।

भारत में यातायात नियम न्यू मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार हैं। इस नए Motor Vehicle Act 2020 के तहत मानक से कमतर इंजन की गाड़ी बनाने वाली कंपनियों पर 500 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जायेगा जैसे सामान्य (धारा-177 )और (नयी धारा -177 )के तहत ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पहले 100 रूपये का जुर्माना देना पड़ता था लेकिन अब 100 रूपये को बढ़ा कर 500 रूपये कर (Earlier, a fine of Rs 100 had to be paid but now Rs 100 was increased to Rs 500 ) दिया गया है । आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से New Traffic Rules के बारे में सभी जानकारी प्रदान  करने जा रहे है ।

  • नए कानून के तहत ड्राइविंग लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगो पर 1 लाख रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा ।सड़क पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने पर 1,000 से 2,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
  • सड़क सुरक्षा नियम के तहत  अगर कोई नाबालिक के गाड़ी चलता हुआ पकड़ा गया तो उसे 25 हज़ार रूपये का जुर्माना भरना होगा और उसकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा और नाबालिक का ड्राइविंग लाइसेंस 25 की उम्र तक नहीं बन पायेगा ।
  • New Traffic Rules के अंतर्गत अब जो लोग ड्राइविंग करते समय मोबाइल पर बात करने वालो  ,ट्रैफिक जम्प करने वालो को  ,गलत दिशा में ड्राइव करने वालो को ,खतरनाक ड्राइविंग करने वालो को और बेवजह ट्रैफिक जाम करने वालो  भारी जुर्माना देना होगा 
  • वह सभी लोग जो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करेंगे उन्हें मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के अंतर्गत जुर्माना देना होगा। आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से सभी ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले लोगों के लिए ई चालान जारी कर दिया जाएगा।
  • डिजी लॉकर या फिर एम परिवहन के माध्यम से ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य दस्तावेज जैसे पंजीकरण प्रमाण पत्र को स्टोर किया जाएगा।
  • नई ट्रैफिक रूल्स के अंतर्गत वाहन चालक को अपने सभी दस्तावेजों को मोबाइल पर स्टोर करना होगा। इससे उन्हें कोई भी दस्तावेज भौतिक तौर पर अपने साथ नहीं रखने होंगे। यदि ट्रैफिक पुलिस ड्राइविंग लाइसेंस या फिर अन्य दस्तावेज मांगती है तो वाहन चालक सॉफ्ट कॉपी दिखा सकता है।

New Traffic Rules List 2020

अपराधपहले चालान या जुर्मानाअब चालान या जुर्माना
सामान्य (177)100 रूपये500 रूपये
रेड रेगुलेशन नियम का उल्लंघन (177A)100 रूपये500 रूपये
अथॉरिटी के आदेश की अवहेलना (179)500 रूपये2000रूपये
अनाधिकृत गाड़ी बिना लाइसेसं चलाना (180)1000रूपये5000 रूपये
अयोग्यता के बावजूद ड्राइविंग (182)500 रूपये10000 रूपये
बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना (181)500रूपये5000 रूपये
ओवर साइज वाहन (182B) 5000 रूपये
ओवर स्पीडिंग (183)    400 रूपये1000 रूपये
खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना(184)1000 रूपये5000 रूपये
शराब पीकर गाड़ी चलाना (185)2000रूपये10000 रूपये
रेसिंग और तेज़ गति से गाड़ी चलाना (189)500 रूपये5000 रूपये
ओवर लोडिंग (194)2  हज़ार रूपये और 10000 रूपये प्रति टन अतिरिक्त20 हज़ार रूपये और 2 हज़ार रूपये प्रति टन
सीट बेल्ट (194B)100 रूपये1000 रूपये
बिना पर्मिट के गाड़ी चलाना (192A)5 हज़ार रूपये तक10 हज़ार रूपये तक
लाइसेंस कंडीशन का उल्लंघन (193)कुछ भी नहीं25 हज़ार रूपये से 1 लाख रूपये तक
पैसेंजर की ओवर लोडिंग (194A)कुछ भी नहीं1000 रूपये प्रति पेसेंजर
दोपहिया वाहन पर ओवर लोडिंग100 रूपये2 हज़ार रूपये और तीन महीने के लिए लाइसेंस रद्द
हेलमेट न पहनने पर100 रूपये1000 रूपये और तीन महीने के लिए लाइसेंस  रद्द
एमरजेंसी वाहन को रास्ता न देने पर (194E)कुछ भी नहीं     10000 रूपये
बिना इंशोरेंस के गाड़ी चलाने पर (196)1000 रूपये2000 रूपये
दस्तावेज़ों को लगाने की अधिकारियो की शक्ति   (206) कुछ भी नहीं183,184,185,189,190,194c,194D 194Eके तहत ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द किया जायेगा
अधिकारियो को लागू करने से किये गए अपराध (210B)कुछ भी नहींसम्बंधित अनुभाग के तहत दो बार जुर्माना

India में Road Traffic Sign के प्रकार



1. Mandatory sign (अनिवार्य संकेत):सरकार ने इनका पालन नहीं करने वलोके लिए दंड का प्रावधान किया हुआ है। जो की हाल ही में काफी ज्यादा बढ़ाया गया है क्योंकि नियमो का पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा था और इसकी वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही थी।




2. Cautionary signs (सावधानी के संकेत): सड़क उपयोगकर्ताओं को सड़क पर संभावित खतरों या सुरक्षा खतरों का एहसास कराने के लिए इन यातायात संकेतों की आवश्यकता होती है। ये संकेत, एक तरह से, ड्राइवर को सावधानी बरतने के लिए उपयोग करते हैं जो उसे किसी स्थिति को संभालने के लिए तैयार करने के लिए आवश्यक कदम उठाते हैं।




3. Informatory Signs (सूचनात्मक संकेत):ये वो ट्रैफ़िक संकेत हैं, जिनका उपयोग रोड का उपयोग करने वालो को दूरियों, पेट्रोल स्टेशनों, पास के हॉस्पिटल, सार्वजनिक सुविधा आदि जानकारी के बारे में बताने के लिए किया जाता है।




Traffic Light Signs  ट्रैफिक लाइट चिन्ह



 Red Light : रेड लाइट का सिग्नल हमें जेबरा क्रॉसिंग से पहले रुकने का संकेत देता है।

ताकि ज़ेब्रा क्रॉसिंग पर से पैदल यात्री रोड क्रॉस कर सके व दूसरी तरफ का ट्रैफिक क्लियर हो सके।


 Green Light : ग्रीन लाइट हमे संकेत देती है की हम आगे बढ़ सकते है। परन्तु उस से पहले अपने आस पास जरूर देख ले।


 Yellow Light : पिली लाइट का मतलब चलने को तैयार होआ होता है अर्थात जब पिली लाइट लाइट दिखे तो समझ जाये की अब थोड़ी ही देर में लाइट हरी होने वाली है।  


Essential Documents (जरुरी डाक्यूमेंट्स)

एक ड्राइवर के द्वारा वाहन चलते वक़्त यह साथ रखना अनिवार्य है :

a.  Driving license
b.  Registration certificate of the vehicle
c.  Taxation certificate
d.  Insurance certificate
e.  Fitness certificate
f.  Permit


Road Traffic Rules in Hindi – भारत में यातायात के नियम

1. हमेशा लेफ्ट साइड चले

भारत में वाहन चलाने और पैदल चलने के लिए लेफ्ट साइड का Road Traffic Rules है। यह सभी देशो में अलग अलग है।

2. ओवरटेक

हमेशा ध्यान रखे की ओवरटेक अपने राइट साइड से ही करे।

3. ओवरटेक निषेध

इन कुछ स्थितियों में ओवरटेक करना निषेध है :

  • वहा ओवरटेक करने की कोशिश न करे जहाँ पर आपको आगे का एकदम साफ न दिख रहा हो। जैसे – घुमाव में , बड़े वाहन के कारण आदि।
  • उस समय ओवरटेक ना करे जब आपको कोई दूसरा वाहन ओवरटेक कर रहा हो।
  • ओवरटेक तभी करे जब आपसे अगले वाहन का ड्राइवर आपको सिग्नल दे दे।

4. पैदल यात्री

पैदल यात्रियों को जेब्रा क्रॉसिंग से रोड क्रॉस करने का हक़ है।

5. इमरजेंसी वाहन

यह आपका दायित्व है की इमरजेंसी वाहन को रास्ता दे और आगे जाने दे। यह एक महत्वपूर्ण Road Traffic Rules है। जिसका पालन हमे किसी दंड के प्रावधान के कारन नहीं बल्कि मानवता के कारण भी करना चाहिए।

6. “U” Turn

  • यू टर्न तभी किया जा सकता है जब :
  • जब वहां कोई यू टर्न निषेध का वार्निंग चिन्ह ना हो।
  • यू टर्न लेने से पहले ड्राइवर के द्वारा अन्य वाहनो को आवश्यक सिग्नल दिया जाये।
  • जब आपके वाहन के आसपास को ट्रैफिक नहीं है और यू टर्न लेना एकदम सेफ है।

7. इंडीकेटर्स

यह एक नार्मल सा परन्तु काफी उपयोगी Road Traffic Rules है। रोड पर सीधे चलने के अलावा कोई भी अन्य गतिविधि करने से पहले इंडीकेटर्स का प्रयोग जरूर करे।

8. पार्किंग

जब आप अपने वाहन को पार्क करे तो यह सुनिश्चित करले की वहां कोई ‘नो पार्किंग’ का बोर्ड नहीं लगा हुआ है।

9. One Way Road (वन वे रोड)

वन वे रोड का मतलब होता है की वाहन एक ही दिशा में चल सकते है। आप उनसे विपरीत दिशा की और नहीं जा सकते है। इसलिए ध्यान रखे की जिस रोड पर आप जा रहे है और अगर वह रोड वन वे है तो उसी दिशा में जाये जिस दिशा में जाने का संकेत है।

10. Stop Lines

ध्यान रखे की अगर आपको स्टॉप लाइन्स दिखती है तो आपको उस से पहले रुकना होता है।

11. Towing (घिसना)

Towing करना स्वीकार्य नहीं है जब तक की :

  • कोई वाहन ख़राब ना हो जाये।
  • पूर्ण रूप से न बना हुआ वाहन हो।
  • Registered trailers हो।

12. Noise आवाज़

ड्राइवर को यह नहीं करना चाहिए :

  • फालतू हॉर्न बजाना
  • हॉर्न निषेध क्षेत्र में हॉर्न बजाना जैसे हॉस्पिटल और स्कूल क्षेत्र में
  • हॉर्न बहुत ज्यादा तेज़ , चिड़चिड़ा नहीं हो
  • ऐसे वाहन का उपयोग ना करे जो ज्यादा आवाज़ करता हो
  • बिना silencers के वाहन का उपयोग

13. ट्रैफिक लाइट

लगभग हर चौराहे पर लगी हुई लाल, पिली और हरी बत्ती का पालन करना अनिवार्य है। इसके बारे में निचे विस्तार से बताया गया है।

14. दुरी बनाये रखे

जब आप रोड पर होते है तो वहां बहुत सारे वाहन होते है। जो वाहन आपसे आगे चल रहे है उनसे निश्चित दुरी बनाये रखना जरुरी है ताकि किसी situation में एक्सीडेंट होने से बचा जा सके।


मील के पत्थर अलग-अलग रंग के क्यों होते हैं और क्या है हर रंग का मतलब?



  • पीले रंग वाला मील का पत्थर

  • अगर आप अपने किसी सफर पर निकले हैं और आपको सड़क किनारे लगे मील के पत्थर के ऊपरी हिस्से पर पीला रंग और निचले हिस्से पर सफेद रंग दिखें तो समझ जाइए कि आप किसी राष्ट्रीय राज्य मार्ग (नेशनल हाईवे) पर सफर कर रहे हैं।

    इस रंग के मील के पत्थर का अर्थ यह भी है कि इस सड़क को केंद्र सरकार द्वारा बनवाया गया है और इस सड़क की देख-रेख का जिम्मा केंद्र सरकार का है।

  • हरे रंग वाला मील का पत्थर

  • अगर सड़क किनारे लगे मील के पत्थर के ऊपरी हिस्से का रंग हरा और निचले हिस्से का रंग सफेद है तो आप किसी नेशनल हाईवे पर नहीं बल्कि किसी स्टेट हाईवे पर सफर कर रहे हैं।

    वहीं यह पत्थर यह भी बताता है कि उस सड़क की देख-रेख का जिम्मा राज्य सरकार के पास है। साफ-शब्दों में समझाएं तो अगर सड़क टूटती-फूटती है तो उसको सही कराना राज्य सरकार के जिम्मे होगा।

    • काले रंग वाला मील का पत्थर

    • मील के पत्थर के ऊपरी भाग पर काला रंग और निचले भाग पर सफेद रंग होने का मतलब है कि आप किसी बड़े शहर या फिर किसी जिले की सड़क पर सफर कर रहे हैं।

      ये बताता है कि इस सड़क की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के पास है। इस सड़क में कभी भी कोई परेशानी होती है तो स्थानीय जिला प्रशासन राज्य सरकार को सूचित करता है और दोनों मिलकर सड़क की मरम्मत कराते हैं।

      • नारंगी रंग वाला मील का पत्थर

      • अगर आपको मील के पत्थर के ऊपरी हिस्से पर नारंगी रंग और निचले हिस्से पर सफेद रंग दिखाई दे तो समझ लीजिए कि आप किसी गांव की सड़क पर हैं।

        ऐसी सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत किया गया है और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के पास होती है। साल 2000 से इस योजना के तहत गांवों में सड़के बनाई जा रही हैं।

    • फास्टैग क्या है (What Is Fast Tag)



    • फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। यह आकार में  क्रेडिट कार्ड से छोटा होता है, इस कार्ड को वाहन के आगे शीशे पर लगाया जाता है। इसमें एक चिप लगी होती है, जिसके अंदर आपके वाहन से संबंधित समस्त जानकारी उपलब्ध रहती है। जैसे ही आप किसी टोल प्लाजा से होकर गुजरते हैं, वैसे ही आपकी गाड़ी पर लगा इसका टैग, फास्ट टैग के संपर्क में आते ही आपके फास्ट टैग के अकाउंट से लगने वाला टोल टेस्ट का भुगतान अपने आप हो जाता है| आपकी गाड़ी पर लगा यह टैग जैसे ही आपके प्रीपेड अकाउंट से जोड़कर एक्टिवेट होता है, वैसे ही यह अपना कार्य शुरू कर देता है|

      यदि आपके फास्ट टैग अकाउंट की राशि खत्म हो जाती है, तो इसे आपको दोबारा से रिचार्ज करना होगा| इस टैग की वैधता 5 वर्ष होती है, अर्थात आपको 5 वर्ष बाद इसे अपने गाड़ी पर पुनः लगवाना होगा|

    • PUC Certificate

    • Pollution Under Control Certificate (PUCC)
    • नए वाहन: नए वाहनों के लिए पीयूसी वैधता 1 वर्ष है जिसके बाद आपको निर्धारित समय सीमा के अनुसार पीयूसीसी को नवीनीकृत करना होगा। 
      पुराने वाहन: पुराने वाहनों के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र की वैधता 6 महीने है और इसे हर छह महीने में नवीनीकृत किया जाना चाहिए।

    • PUC प्रमाणपत्र प्राप्त करने की लागत ईंधन और वाहन के प्रकार पर निर्भर करती है। PUC प्रमाणपत्र शुल्क रु के बीच हो सकता है। 60 से रु। 100 एक दो / तीन / चार पहिया वाहन और ईंधन प्रकार होने के आधार पर।


    • सभी वाहन जो आंतरिक दहन इंजन (पेट्रोल / डीजल / सीएनजी / एलपीजी) द्वारा संचालित हैं जो भारतीय सार्वजनिक सड़कों पर पीयूसी प्रमाणन के साथ चल रहे हैं

  • Better be Mister Late than to be Late Mister


    Safety rules are your best tools


    देश की सड़क को एक सुरक्षित चालक की आवश्यकता है.

    यातायात नियमों का पालन करे खुद भी सुरक्षित रहे और दूसरों को भी सुरक्षित रखे


    "Fast drive could be your last drive"


    Safety is our goal - Whats yours?"

    "गति और मन पर नियंत्रण रखें"


    देर से घर आए लेकिन दुरुस्त आए" धीरे चले सुरक्षित चले


     "Safety is like a lock – But you are the key"


ગાંંધીજી નિર્વાણ દિન

 ગાંંધીજી નિર્વાણ દિન

શહિદ દિન

30 જાન્યુઆરી



30 જાન્યુઆરી 1948ને શુક્રવારે નથુરામ ગોડસે દ્વારા બિરલા હાઉસ ખાતે  મહાત્મા ગાંધીજીને ત્રણ ગોળી મારી હત્યા કરી હતી તેની યાદમાં  30 જાન્યુઆરીને  શહીદ દિવસ  ઉજવવામાં આવે છે.

30 જાન્યુઆરી, 1948ને શુક્રવાર એ દિવસ બાકીના દિવસોની જેમ જ શરુ થયો હતો, પરંતુ સાંજ સુધીમાં તે માત્ર દેશ નહીં પરંતુ દુનિયાનો ઇતિહાસનો સૌથી દુઃખદ દિવસ બની ગયો. કારણ કે છેલ્લા દિવસે સવારે 3-30 વાગ્યે જાગી જનાર સાબરમતીના સંતનું શરીર સાંજે 5-15 વાગ્યે બંદૂકની ગોળીઓથી વીંધાય ગયું હતું. અને દેશના રાષ્ટ્રપિતા મહાત્મા ગાંધીએ ‘હે રામ’ બોલી દુનિયાને અલવિદા કહી દીધું હતું.



વર્ષ 1948ની 30મી જાન્યુઆરીએ નથુરામ ગોડસેએ બંદુકમાંથી એક પછી એક ત્રણ ગોળી છોડી ગાંધીજીની હત્યા કરી.



દેશને ખાતર પ્રાણનું બલિદાન આપનાર મહાત્મા ગાંધીની યાદમાં દર વર્ષે 30 જાન્યુઆરીને ‘શહીદ દિવસ’ તરીકે ઓળખવામાં આવે છે.

આ સમયે આખા દેશમાં મહાત્મા ગાંધી સહિત અન્ય શહીદોની યાદમાં 11 વાગ્યે બે મિનિટનું મૌન રાખવામાં આવે છે. આ દરમ્યાન વિશેષ રીતે તમામ ધર્મોના લોકો પ્રાર્થનાનું આયોજન કરે છે.



ગાંધીજીના જીવન અને કાર્ય અંગે કેટકેટલું લખાયું છે, અને લખાતું રહેશે. એમના સત્ય અને અહિંસાના વિચારો આજના સમયે પણ એટલા જ સાર્થક છે. ડો.માર્ટીન લ્યુથર કિંગની આગેવાની હેઠળ લડાયેલ અમેરિકાની અહિંસક સામાજિક ક્રાંતિમાં અને દક્ષિણ આફ્રિકામાં નેલ્સન મંડેલાની સ્વતંત્રતાની લડતમાં ગાંધી વિચારોની અસર સ્પષ્ટ જણાઈ આવે છે.

દર વર્ષે આ દિવસે રાષ્ટ્રપતિ, ઉપ-રાષ્ટ્રપતિ, પ્રધાનમંત્રી, રક્ષા મંત્રી અને ત્રણ સેનાના પ્રમુખ રાજઘાટ સ્થિત મહાત્મા ગાંધી ની સમાધિ પર તેમને શ્રદ્ધાંજલિ આપે છે. સાથે સેનાના જવાન આ સમયે મહાત્મા ગાંધીને શ્રદ્ધાંજલિ આપતા તેમના માનમાં પોતાના હથિયાર નીચે મુકે છે.




30મી જાન્યુઆરી એ સમગ્ર દેશમાં ‘શહીદ દિવસ’ તરીકે ઉજવાય છે. આ દિવસે રાષ્ટ્રપિતા મહાત્મા ગાંધીની નવી દિલ્હી ખાતે હત્યા થઇ હતી. બાપુના નિર્વાણ દિવસને આઝાદીની સમસ્ત ચળવળ દરમિયાન દેશ માટે પોતાના પ્રાણની આહુતિ આપનાર શહીદોને યાદ કરી બપોરે 11:૦૦ વાગે સમગ્ર દેશમાં બે મિનિટનું મૌન પાળવાની પ્રથા છે.

અહિંસા, ભાઈચારો, સત્ય જેવા સનાતન મુલ્યો માટે જીવન પર્યંત સંઘર્ષ કરનાર ગાંધી બાપુના જીવનમાંથી દેશ અને દુનિયામાં અનેક માણસોએ પ્રેરણા મેળવી છે અને પોતાનું જીવન ધન્ય બનાવ્યું છે. અનેક રાષ્ટ્ર-પ્રમુખોએ તેમના સિદ્ધાંતો દ્વારા પોતાના રાજકીય અને સામાજીક કાર્યક્રમોની રૂપરેખા ઘડીને સફળતા મેળવી છે. દુનિયામાં હાલમાં પણ ગાંધીજીના જીવન મુલ્યોને અનુસરનાર એક ખુબ મોટો વર્ગ છે. તેની સામે આપણા દેશમાં ગાંધી મૂલ્યોનો હ્રાસ થઇ રહ્યો હોય તેવું અનુભવાઈ રહ્યું છે. રાજકીય નેતાઓ અને પક્ષો માટે ગાંધીજી માત્ર નામ બની રહ્યા છે. મત મેળવવા આ નામની જરૂર હોવાથી અનિચ્છાએ પણ તે નામનો ઉપયોગ તો કરીએ છે પણ નીતિઓ અને જીવનમાંથી ગાંધી-મુલ્યો ધીમે ધીમે ભુલાઈ રહ્યા હોય તેમ સામાન્ય લોકોને લાગી રહ્યું છે. આવામાં ‘શહીદ દિવસ’ એ માત્ર ઔપચારિકતા બની રહે છે. કેટલાક તો બે મિનિટનું મૌન પણ પાળતા નથી. કેટલાકને ગાંધીજીના મુલ્યો પસંદ ના હોય તે શક્ય છે. લોકશાહીમાં દરેકને પોતાનો મત રજુ કરવાનો અધિકાર છે. પણ ‘શહીદ દિવસ’  એ સમગ્ર દેશના શહીદોને યાદ કરવાનો અવસર છે. આ દિવસનું માન સચવાય એ ઇચ્છનીય છે.

આજે દુનિયાભરમાંથી આયાત કરેલી ચીજ વસ્તુઓ માટે ભારત એ બજાર બન્યું છે ત્યારે ગાંધીની સ્વદેશીની વિચારસરણી આપણને ના ગમે. ડગલે ને પગલે જુઠ ઉપર ટકેલો આજનો વ્યવહાર ગાંધીના સત્યના આગ્રહને ના માને. રોજ-બરોજ હિંસાને મહત્વ આપતો આજનો સમાજ ગાંધીના અહિંસાના સિદ્ધાંતને ના સમજે. દેખાડો કરવાના શોખીન આપણને એક પોતડીમાં લપેટાયેલા ગાંધીનું શરીર ફેશનેબલ નહી લાગે. આ બધું સ્વાભાવિક લાગે છે પણ જે સમય, વાતાવરણ અને પરિસ્થિતિઓમાં આ સિદ્ધાંતો સાથે ગાંધીજી જીવ્યા એ પરિસ્થિતિઓ આજના કરતા વધારે પ્રતિકુળ હતી. અને એટલે જ આજે અગાઉ કરતા પણ વધુ ગાંધી મુલ્યોના ફેલાવાની જરૂર છે. સાચે જ, આઇન્સ્ટાઇને ગાંધીજી માટે કહેલું કે ‘લોકો વિશ્વાસ નહી કરે કે હાડ-માંસનો આવો માનવી ખરેખર જીવતો હતો’.  અર્થાત, આવા મુલ્યો સાથે જીવાય તેવું લોકો માની પણ નહી શકે. એ કથનને આજે આપણે એક સદી કરતા પણ ઓછા સમયમાં સાચુ સાબિત કરી દીધું.

મા ભોમની સ્વતંત્રતા અને ખુશહાલી માટે કુરબાની આપનાર તમામ નામી-અનામી શહીદોને આજના દિવસે કોટી કોટી વંદન કરી દેશના સામાન્ય જન તરીકે આવો આપણે સૌ ‘શહીદ દિવસ’ ને મન, કર્મ અને વચનથી સાર્થક કરવાનો સંકલ્પ કરીએ.

વિવિધ સ્વાતંત્ર્ય સેનાની સમાધિ સ્થળ


બીટિંગ ધ રિટ્રીટ સેરેમની

 

બીટિંગ ધ રિટ્રીટ સેરેમની

29 જાન્યુઆરી
ગણતંત્ર દિવસનું સમાપન



દેશની રાજધાની દિલ્હીમાં દર વર્ષે ગણતંત્ર દિવસના ત્રીજા દિવસે  29 જાન્યુઆરીએ 'બીટિંગ ધ રિટ્રીટ (Beating The Retreat)' સેરેમનીનું આયોજન કરવામાં આવે છે

 જેમાં મુખ્ય મહેમાન રાષ્ટ્રપતિ હોય છે. રાષ્ટ્રપતિ તેમના અંગ રક્ષકો સાથે સ્થળ પર પહોંચે છે.

જ્યારે રાષ્ટ્રપતિ પહોંચે ત્યારે તેમના અંગરક્ષકો રાષ્ટ્રીય સલામ આપવા ભેગા થાય છે, ત્યારબાદ ભારતીય રાષ્ટ્રગીત, જન ગણ મન, અને પછી સામુહિક બેન્ડ વગાડવા સહિત ભારતનો રાષ્ટ્રધ્વજ ફરકાવે છે.

સમારોહ દરમિયાન, આર્મી બેન્ડ, પાઇપ અને ડ્રમ બેન્ડ, ટ્રમ્પેટર અને વાંસળીવાદક તેમની કલા રજૂ કરે છે અને વિવિધ ધૂન વગાડે છે. આ ઉપરાંત, નૌકાદળ અને વાયુસેનાના બેન્ડ પણ કાર્યક્રમમાં ભાગ લે છે. ભારતીય ધૂન પર આધારીત આર્મી બેન્ડ દ્વારા સંખ્યાબંધ ધૂન વગાડવામાં આવે છે.

'બીટિંગ ધ રીટ્રીટ' એ સદીઓ જૂની સૈન્ય પરંપરાનું પ્રતીક છે જ્યારે સૈન્ય યુદ્ધ સમાપ્ત થયા પછી પાછા આવ્યા અને યુદ્ધના મેદાનમાંથી પાછા આવ્યા પછી શસ્ત્રો ઉતારીને સૂર્યાસ્ત સમયે તેમના છાવણી પર પાછા ફર્યા. આ સમયે ધ્વજ નીચે ઉતારવામાં આવ્યા હતા. આ સમારોહ વીતેલા સમયની યાદ અપાવે છે

29 જાન્યુઆરીની સાંજે બીટિંગ ધ રિટ્રીટ યોજવામાં આવે છે અને સંરક્ષણ મંત્રાલયના વિભાગ - D દ્વારા તેનું આયોજન કરવામાં આવે છે

તે સેનાની ત્રણ પાંખ ભારતીય સૈન્ય, ભારતીય નૌકાદળ અને ભારતીય વાયુ સેનાના બેન્ડ્સ દ્વારા અને સેનાના પાઇપ બેન્ડ દ્વારા રજૂ કરવામાં આવ્યું છે, ઉપરાંત વર્ષ 2016 થી સેન્ટ્રલ સશસ્ત્ર પોલીસ દળ અને દિલ્હી પોલીસના બેન્ડ્સની રચના.

આ સ્થળ રાયસિના હિલ્સ અને વિજય ચોક છે, જે મધ્ય સચિવાલયના ઉત્તર અને દક્ષિણ બ્લોક્સ અને રાષ્ટ્રપતિ ભવન (રાષ્ટ્રપતિ મહેલ) દ્વારા રાજપથના અંત તરફ આવેલું છે.

રાયસીના રોડ પર રાષ્ટ્રપતિ ભવનની સામે તેનું પ્રદર્શન કરવામાં આવે છે. ચાર દિવસ સુધી ચાલનારા ગણતંત્ર દિવસ રમારોહનું સમાપન બીટિંગ રિટ્રીટની સાથે થાય છે.

26 જાન્યુઆરીના ગણતંત્ર દિવસ સમારોહની જેમ Beating Retreat કાર્યક્રમ પણ જોવા લાયક હોય છે.

બીટિંગ રિટ્રીટ સેરેમનીમાં તમામ સુરક્ષાદળો તેમની પરંપરાગત વેશભૂષામાં હોય છે.

આ સમારોહ 1950 ના દાયકાની શરૂઆતમાં શરૂ કરવામાં આવ્યો હતો જ્યારે એલિઝાબેથ દ્વિતીય અને પ્રિન્સ ફિલિપ આઝાદી પછી પહેલી વાર ભારતની મુલાકાતે આવ્યા હતા.

 તત્કાલીન વડા પ્રધાન જવાહરલાલ નહેરુએ મેજર જી.એ. રોનાર્ટ્સ, ધ ગ્રેનેડિયર્સના અધિકારી, તેમને એલિઝાબેથની મુલાકાત માટે કંઈક અદભૂત સર્જનાત્મક અને પ્રસંગજનક કરવાનું કહેતા. છૂટાછવાયા બેન્ડ્સ દ્વારા પ્રદર્શનના સમારોહને વિકસિત કરીને, રોબર્ટ્સે આ મુલાકાતના સન્માનમાં બીટીંગ રીટ્રીટની સત્તાવાર રીતે કલ્પના કરી. 

વિવિધ રેજિમેન્ટના પાઈપો, ડ્રમ્સ, બગલરો અને ટ્રમ્પેટર્સવાળા આર્મી, એરફોર્સ અને નેવી બેન્ડ્સે ભાગ લીધો હતો. 

મુખ્ય અતિથિ તરીકે દેશના રાજ્યના વડા હોવું તે એક સત્તાવાર સમારોહ બની ગયો છે અને તે વર્ષે બીટિંગ રીટ્રીટ તેમના સન્માનમાં હતું

કાર્યક્રમનું સમાપન 'સારે જહાં સે અચ્છા'  ધૂન સાથે થાય છે..

ભારત સરકાર દ્વારા આ વર્ષે 1000 ડ્રોનની મદદથી લાઈટ શોને હોસ્ટ કરવા જઈ રહી છે. આ આઝાદીના 75 વર્ષ પર સરકારની સિદ્ધિઓને દર્શાવશે. આ ઈવેન્ટ 29 જાન્યુઆરીએ બીટિંગ ધ રીટ્રિટ સિરમેનીમાં કંડક્ટ કરવામાં આવશે. તેમાં 1000 ડ્રોન્સ બેકગ્રાઉન્ડ મ્યુઝિક અને લેઝર પ્રોજેક્શન મેપિંગની સાથે સિંક કરીને ફ્લાય કરશે. તેને મિનિસ્ટ્રી ઓફ ડિફેન્સ અને આઈઆઈટી દિલ્લી બેસ્ડ એક સ્ટાર્ટઅપે મળીને ઓર્ગેનાઈઝ કર્યું છે. 




28 January, 2021

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय

 

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय

शेर-ए-पंजाब



जन्मतिथि: 28 जनवरी 1865

जन्म स्थान: मोगा, पंजाब

पिता का नाम: राधाकृष्ण अग्रवाल

निधन: 17 नवंबर 1928

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक और लाल, बाल, पाल की तिकड़ी के मशहूर नेता लाला लाजपत राय का जीवन आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई के दौरान नेतृत्व किया बल्कि अपने जीवन उदाहरणों से उस आदर्श को स्थापित करने में सफलता पाई, जिसकी कल्पना एक आदर्श राजनेता में की जाती है.

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के मोगा में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक रहे. इसका प्रभाव लाजपत राय पर भी पड़ा. शुरूआती दिनों से ही वे एक मेधावी छात्र रहे और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत की ओर रुख कर लिया. वे एक बेहतरीन वकील बने और कुछ समय तक वकालत भी की, लेकिन जल्दी ही उनका मन इस काम से उचट गया. अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था के प्रति उनके मन में रोष पैदा हो गया. उन्होंने उस व्यवस्था को छोड़कर  बैंकिंग का रूख किया.

उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए बैंकिंग का नवाचार किया. उस समय तक भारत में बैंक कोई बहुत अधिक लोकप्रिय नहीं थे, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया और पंजाब नेशनल बैंक तथा लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की. दूसरी तरफ वे लगातार कांग्रेस के माध्यम से अंग्रेजों की खिलाफत करते रहे. अपनी निर्भिकता और गरम स्वभाव के कारण इन्हें पंजाब केसरी के उपाधी से नवाजा गया. बाल गंगाधर तिलक के बाद वे उन शुरूआती नेताओं में से थे, जिन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग की. पंजाब में वे सबसे लोकप्रिय नेता बन कर उभरे.

आजादी के प्रखर सेनानी होने के साथ ही लाला जी का झुकाव भारत में तेजी से फैल रहे आर्य समाज आंदोलन की तरफ भी था. इसका परिणाम हुआ कि उन्होंने जल्दी ही महर्षि दयानंद सरस्वती के साथ मिलकर इस आंदोलन का आगे बढ़ाने का काम ​हाथ में ले लिया. आर्य समाज भारतीय हिंदू समाज में फैली कूरीतियों और धार्मिक अंधविश्वासों पर प्रहार करता था और वेदों की ओर लौटने का आवाहन करता था. लाला जी ने उस वक्त लोकप्रिय जनमानस के विरूद्ध खड़े होने का साहस किया. ये उस दौर की बात है जब आर्य समाजियों को धर्मविरोधी समझा जाता ​था, लेकिन लाला जी ने इसकी कतई परवाह नहीं की. जल्दी ही उनके प्रयासों से आर्य समाज पंजाब में लोकप्रिय हो गया. 

उन्होंने दूसरा और ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में कि​या. अभी तक भारत में पारम्परिक शिक्षा का ही बोलबाला था​. जिसमें शिक्षा का माध्यम संस्कृत और उर्दू ​थे. ज्यादातर लोग उस शिक्षा से वंचित थे जो यूरोपीय शैली या अंग्रेजी व्यवस्था पर आधारित थी. आर्य समाज ने इस दिशा में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों को प्रारंभ किया, जिसके प्रसार और प्रचार के लिए लाला जी ने हरसंभव प्रयास किए. आगे चलकर पंजाब अपने बेहतरीन डीएवी स्कूल्स के लिए जाना गया. इसमें लाला लाजपत राय का योगदान अविस्मरणीय रहा.

शिक्षा के क्षेत्र में उनकी दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि लाहौर का डीएवी कॉलेज रहा. उन्होंने इस कॉलेज के तब के भारत के बेहतरीन शिक्षा के केन्‍द्र में तब्दील कर दिया. यह कॉलेज उन युवाओं के लिए तो वरदान साबित हुआ, जिन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजों द्वारा संचालित कॉलेजों को धता बता दिया था. डीएवी कॉलेज ने उनमें से अधिकांश की शिक्षा की व्यवस्था की.


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ना लाला जी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी. 1888 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन इलाहाबाद में हुआ और यह पहला अवसर था जब लाला लाजपत राय को इस संगठन से जुड़ने का अवसर मिला. अपने शुरूआती दिनों में ही उन्होंने एक उत्साही कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस में पहचान बनानी शुरू कर दी. धीरे—धीरे वे कांग्रेस के पंजाब प्रांत के सर्वमान्य प्रतिनिधि मान लिए गए. 1906 में उनको कांग्रेस ने गोपालकृष्ण के साथ गए शिष्टमंडल का सदस्य बनाया. संगठन में उनके बढ़ते कद का यह परिचायक बनी. कांग्रेस में उनके विचारों के कारण उठापटक प्रारंभ हुई. वे बाल गंगाधर तिलक और विपिनचंद्र पाल के अलावा तीसरे नेता थे, जो कांग्रेस को अंग्रेजों की पिछलग्गू संस्था की भूमिका से ऊपर उठाना चाहते थे.

कांग्रेस में अंग्रेज सरकार की खिलाफत की वजह से वे ब्रिटिश सरकार की नजरों में अखरने लग गए. ब्रिटिशर्स चाहते थे कि उन्हें कांग्रेस से अलग कर दिया जाए, लेकिन उनका कद और लोकप्रियता देखते हुए, यह करना आसान नहीं था. 1907 में लाला लाजपत राय के नेतृत्व में किसानों ने अंग्रेज ​सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. अंग्रेज सरकार ऐसे ही मौके के तलाश में थी और उन्होंने लालाजी को न सिर्फ गिरफ्तार किया, बल्कि उन्हें देश निकाला देते हुए बर्मा के मांडले जेल में कैद कर दिया गया, लेकिन सरकार का यह दांव उल्टा पड़ गया और लोग सड़कों पर उतर आए. दबाव में अंग्रेज सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा और लाला जी एक बार फिर अपने लोगों के बीच वापस आए.

1907 आते—आते लाला जी के विचारों से कांग्रेस का एक धड़ा पूरी तरह असहमत दिखने लगा था. लाला जी को उस गरम दल का हिस्सा माना जाने लगा था, जो अंग्रेज सरकार से लड़कर पूर्ण स्वराज लेना चाहती थी. इस पूर्ण स्वराज को अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम और प्रथम विश्व युद्ध से बल मिला और लाला जी भारत में एनीबेसेंट के साथ होमरूल के मुख्य वक्ता बन कर सामने आए. जलिया वाला बाग कांड ने उनमें अंग्रेज सरकार के खिलाफ और ज्यादा असंतोष भर दिया. इसी बीच कांग्रेस में महात्मा गांधी का प्रादुर्भाव हो चुका था और अंतरराष्ट्रीय पटल पर गांधी स्थापित हो चुके थे. 1920 में गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में उन्होंने बढ़—चढ़ कर हिस्सा लिया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन तबियत बिगड़ जाने पर उन्हें रिहा कर दिया गया. इसी बीच उनके संबंध लगातार कांग्रेस से बिगड़ते रहे और 1924 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर स्वराज पार्टी में शामिल हुए और केन्द्रिय असेम्बली के सदस्य चुने गये. यहां भी जल्दी ही उनका मन उचट गया और उन्होंने नेशलिस्ट पार्टी का गठन किया और एक बार फिर असेम्बली का हिस्सा बने.

भारत की आजादी की लड़ाई एक बड़ा वाकया उस वक्त घटित हुआ, जब भारतीयों से बात करने आए साइमन कमीशन का विरोध का फैसला गांधी द्वारा लिया गया. साइमन कमीशन जहां भी गया, वहां साइमन गो बैक के नारे बुलंद हुए. 30 अक्टूबर 1928 को जब कमीशन लाहौर पहुंचा, तो लाला लाजपत राय के नेतृत्व में एक दल शांतिपूर्वक साइमन गो बैक के नारे लगाता हुआ अपना विरोध दर्ज करवा रहा था. तभी अंग्रेज पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया और एक युवा अंग्रेज अफसर ने लालाजी के सर पर जोरदार प्रहार किया. लाला जी का कथन था— मेरे शरीर पर पड़ी एक—एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील का काम करेगी.

सिर पर लगी हुई चोट ने लाला लाजपत राय का प्राणान्त कर दिया. उनकी मृत्यु से पूरा देश भड़क उठा. इसी क्रोध के परिणामस्वरूप भगतसिंहशिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर  ने अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या की और फांसी के फंदे से झूल गए. लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन सेनानियों में से एक रहे जिन्होंने अपना सबकुछ देश को दे दिया. उनका जीवन ढेर सारे कष्टों और संघर्ष की महागाथा ​है, जिसे आने वाली पीढ़ीया युगों तक कहती—सुनती रहेंगी


27 January, 2021

લાલા લજપતરાય જીવન પરિચય

 લાલા લજપતરાય 

પંજાબ કેસરી, શેર-એ-પંજાબ



જન્મતારીખ: 28 જાન્યુઆરી 1865

જન્મસ્થળ: ધુદિકે, મોગા, પંજાબ

પિતાનું નામ: રાધાકૃષ્ણ અગ્રવાલ

માતાનું નામ: ગુલાબદેવી

અવસાન: 17 નવેમ્બર 1928 (લાહોર)

લાલા લાજપત રાયને શેર-એ-પંજાબનું માનનીય સરનામું આપીને લોકોએ તેમને ગરમ દળના નેતા માન્યા. 

લાલા લાજપત રાય આત્મનિર્ભરતાથી સ્વ-શાસન લાવવા ઇચ્છતા હતા.

આજે સ્વાતંત્ર્યસેનાની ‘પંજાબ કેસરી’ લાલા લજપતરાયની જન્મજયંતી છે. ૨૮ જાન્યુઆરી, ૧૮૬૫ના રોજ પંજાબના હાલના મોગા જિલ્લામાં આ વીર સપૂતનો જન્મ થયો. અભ્યાસ સાથે દેશસેવા પ્રાથમિક શિક્ષણ સ્થાનિક શાળામાં પૂરું કરીને આગળ અભ્યાસ માટે લાલા લજપતરાય લાહોર ગયા.

તેમના પિતા મુન્શી રાધાકૃષ્ણ અગ્રવાલ સરકારી શાળામાં ઉર્દૂ અને ફારસી ભાષાના શિક્ષક હતા

બાળપણમાં જ લાલા લાજપતરાયને લેખન અને ભાષણ પ્રત્યે ખૂબ જ રુચી હતી.બાળપણમાં તેમને માતાના ઉચ્ચ મૂલ્યોની શિક્ષા મળી હતી. ૧૮૮૯માં વકીલાતના અભ્યાસ માટે તેઓ લાહોરના સરકારી વિદ્યાલયમાં દાખલ થયા. કોલેજ દરમિયાન તેઓ લાલા હંસરાજ અને પંડિત ગુરૂદત જેવા દેશભક્તો અને ભવિષ્યના સ્વતંત્ર સેનાનીઓ ના સંપર્કમાં આવ્યા. ત્રણેય સારા મિત્રો બની ગયા અને સ્વામી દયાનંદ સરસ્વતી દ્વારા સ્થાપેલ આર્યસમાજ માં સામેલ થઈ ગયા. લાલા લજપતરાય ને ”શેર એ પંજાબ’‘ ના સંબોધન સાથે લોકો તેમને (જહાલ વાદી)ગરમ દળના નેતા માનતા હતા. તેઓ સ્વાવલંબન થી સ્વરાજ લેવા માગતા હતા. 

 ૧૮૭૦માં તેમના પિતાની બદલી રેવારી ખાતે થતાં તેમનું પ્રાથમિક શિક્ષણ અહીંની સરકારી શાળામાં થયું. ૧૮૮૦માં તેમણે કાયદાશાસ્ત્રના અભ્યાસ માટે લાહોર ગવર્મેન્ટ વિશ્વવિદ્યાલયમાં પ્રવેશ મેળવ્યો, અહીં તેમનો પરિચય લાલા હંસરાજ અને ગુરુદત્ત જેવા દેશભક્ત અને ભવિષ્યના સ્વાતંત્ર્યસેનાનીઓ સાથે થયો.

લાહોર ખાતેના અભ્યાસ દરમિયાન જ દયાનંદ સરસ્વતીના હિંદુ સુધારણા આંદોલનથી પ્રભાવિત થઈ આર્ય સમાજના સભ્ય બન્યા.

 લાહોર સ્થિત આર્ય ગેજેટના સંસ્થાપક સંપાદક બન્યા

૧૮૮૪માં તેમના પિતાની બદલી રોહતક ખાતે થતાં અભ્યાસ પૂર્ણ કરી તેઓ પણ રોહતક આવી ગયા. ૧૮૮૬માં હિસારમાં વકીલાત શરૂ કરી

બાળપણથી જ દેશસેવા કરવાની ઇચ્છા હતી આથી દેશને વિદેશી શાસનથી મુક્તિ અપાવવાની પ્રતિજ્ઞા લઈ ભારતીય રાષ્ટ્રીય કોંગ્રેસ અને આર્ય સમાજની હિસાર શાખાની સ્થાપના કરી

૧૮૮૮ અને ૧૮૮૯માં કોંગ્રેસના અલ્હાબાદ અધિવેશનમાં હિસારના પ્રતિનિધિ તરીકે ભાગ લીધો. ૧૮૯૨માં તેઓ લાહોર ઉચ્ચ ન્યાયાલય ખાતે વકીલાત માટે લાહોર ચાલ્યા ગયા

૧૯૧૪માં ભારતની આઝાદી માટે પોતાને સમર્પિત કરતાં વકીલાત છોડી દીધી. ૧૯૧૪માં બ્રિટન અને ૧૯૧૭માં અમેરિકાનો પ્રવાસ કર્યો. ઓક્ટોબર ૧૯૧૭માં ન્યૂયોર્ક ખાતે ઇન્ડિયન હોમરૂલ લીગ ઓફ અમેરિકાની સ્થાપના કરી. તેઓ ૧૯૨૦ સુધી અમેરિકા રહ્યા.

લાલ-બાલ-પાલની ત્રિપુટી



લાજપતરાયે 1917માં અમેરિકાનો પ્રવાસ કર્યો અને પ્રથમ વિશ્વયુદ્ધ દરમિયાન ભારત પાછા ફર્યા

૧૯૨૮માં બ્રિટીશ સરકારે ભારતની રાજનૈતિક પરિસ્થિતિનો ચિતાર મેળવવા માટે જ્‌હોન સાઇમનના વડપણ હેઠળ એક તપાસ પંચની રચના કરી. પંચના સભ્યોમાં એક પણ ભારતીય ન હોવાના કારણે ભારતીય રાજનૈતિક દળોએ સાયમન કમિશનનો બહિષ્કાર કર્યો

કમિશનના વિરોધમાં દેશવ્યાપી આંદોલનો થયા. ૩૦ ઓક્ટોબર ૧૯૨૮ના રોજ આયોગની લાહોર મુલાકાતના વિરોધમાં લાલા લાજપતરાયે એક અહિંસક પ્રદર્શનનું નેતૃત્ત્વ કર્યું. પ્રદર્શનમાં સાઇમન ગો બેકના નારા સાથે કાળા વાવટા ફરકાવવામાં આવ્યા. પોલીસ અધિક્ષક જેમ્સ એ. સ્કોટે પોલીસને લાઠીચાર્જનો આદેશ આપ્યો જેમાં પ્રદર્શનકારીઓ અને ખાસ કરીને લાજપતરાય પર પ્રહાર કર્યો. લાઠીચાર્જથી ઝખ્મી થયેલા લાજપતરાયે ભીડને સંબોધિત કરતાં જણાવ્યું કે, "હું ઘોષણા કરું છું કે આજે મારા પર થયેલો પ્રહાર બ્રિટીશ રાજના કોફીન પરનો અંતિમ ખીલો બની રહેશે.

તેમણે કહ્યું હતું કે, "મારા શરીર પરની દરેક લાકડી બ્રિટિશ સરકારના શબપેટીમાં ખીલીનું કામ કરશે.

લાઠીચાર્જથી ગંભીર રીતે ઘવાયેલા લાજપતરાયનું ૧૭ નવેમ્બર ૧૯૨૮ના રોજ અવસાન થયું

આ લાઠીચાર્જના માત્ર એક મહિના પછી, 17 ડિસેમ્બરે બ્રિટિશ પોલીસ અધિકારી, સોન્ડર્સની ગોળીથી હત્યા કરવામાં આવી હતી, જેના માટે રાજગુરુ, સુખદેવ અને ભગતસિંહને ફાંસી આપવામાં આવી હતી, અને તેઓ શહીદ થઈ ગયા હતા.

 ૧૯૦૫માં બનારસમાં કોંગ્રેસ મહાસભાની બેઠક મળી ત્યારે તેમણે વંદે માતરમ્ના અવાજને બુલંદ બનાવ્યો. લાલ, બાલ, પાલની ત્રિપુટી લાલા લજપતરાય, બાલ ગંગાધર તિલક અને બિપિનચંદ્ર પાલ ‘લાલ, બાલ, પાલ’ તરીકે ખ્યાતિ પામ્યા. આ ત્રણેય બહાદુરોએ ભારત દેશની સંપૂર્ણ સ્વતંત્રતા માટેની માંગ ઉઠાવી હતી.

લાલાજીની શહાદતનો બદલો લેવા માટે ભગતસિંહ, સુખદેવ અને રાજ્યગુરુ જેવા ક્રાંતિકારીઓએ અંગ્રેજો સામે શસ્ત્રો ઉપાડ્યા

લાલાજીએ ‘યંગ ઈન્ડિયા’ નામે પુસ્તક લખ્યું હતું, પણ આ પુસ્તકના વિમોચન પહેલાં જ ભારત અને બ્રિટનમાં પ્રતિબંધ મુકાયો.

હિન્દુ સમાજમાં વ્યાપેલા જાતિવાદના રોગને નાબૂદ કરવો એ એમનું જીવનધ્યેય બની ગયું. એમણે  ‘દેશોપકારક’ અને ‘આર્યાવર્ત’ નામના બે સામયિક શરૂ કર્યા. એમણે માત્ર ઓગણીસમાં વર્ષે પશ્ચિમ અને ભારતીય સંસ્કૃતિનો સમન્વય કરી લાહોરમાં ‘દયાનંદ એંગ્લો વૈદિક કૉલેજ’ની સ્થાપના કરી.

લાલા લાજપત રાયે દેશને પ્રથમ સ્વદેશી બેંક આપી. તેમણે પંજાબમાં  પંજાબ નેશનલ બેંકની સ્થાપના કરી

આ સિવાય તેમણે લક્ષ્મી વિમા કંપનીની પણ સ્થાપના કરી હતી.

 તેમણે પંજાબમાં આર્ય સમાજને  લોકપ્રિય બનાવ્યું.



લાલા લાજપત રાય દ્વારા લખવામા આવેલ પુસ્તકો

Arya samaj (1915)

Young India (1916)

England’s Debt to India (1917)

The Political Future of India (1919)

Unhappy India (1928)

The Story of My Life

મેઝિનીનું લક્ષણ (1896)

ગારીબાલ્ડીનું પાત્ર ચિત્રણ (1896)

શિવાજીનું પાત્ર ચિત્રણ (1896)

દયાનંદ સરસ્વતી (1898)

યુગપુરુષ ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ (1898)

મારી દેશનિકાલ વાર્તા

રોમાંચક બ્રહ્મા

ભગવદ ગીતાનો સંદેશ (1908)

તેમણે ભારતની સ્વતંત્રતા માટે યુનાઇટેડ સ્ટેટ્સમાં 15 ઓક્ટોબર 1916 માં 'હોમ રૂલ લીગ' ની સ્થાપના કરી.

લાલા લાજપતરાયે તેમની દેશભક્તિની લહેર પંજાબની સાથે સમગ્ર દેશમાં ફેલાવી, તેમની પ્રેરણા લઈને દેશના યુવાનોમાં આઝાદીનો ઉત્સાહ જન્મ્યો, એવા વીર સપૂતને તેમની જન્મ જયંતિ પર સત સત વંદન

26 January, 2021

गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस




 भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था तथा 26 जनवरी 1950 को इसके संविधान को आत्मसात किया गया, जिसके अनुसार भारत देश एक लोकतांत्रिक, संप्रभु तथा गणतंत्र देश घोषित किया गया।

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

गणतंत्र राष्‍ट्र के बीज 31 दिसंबर 1929 की मध्‍य रात्रि में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र में बोए गए थे। यह सत्र पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्‍यक्षता में आयोजि‍त किया गया था। उस बैठक में उपस्थित लोगों ने 26 जनवरी को "स्‍वतंत्रता दिवस" के रूप में अंकित करने की शपथ ली थी ताकि ब्रिटिश राज से पूर्ण स्‍वतंत्रता के सपने को साकार किया जा सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्‍त किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्‍वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पूरे भारत से अनेक भारतीय राजनैतिक दलों और भारतीय क्रांतिकारियों ने सम्‍मान और गर्व सहित इस दिन को मनाने के प्रति एकता दर्शाई।

भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को की गई, जिसका गठन भारतीय नेताओं और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुई बातचीत के परिणाम स्‍वरूप किया गया था। इस सभा का उद्देश्‍य भारत को एक संविधान प्रदान करना था जो दीर्घ अवधि प्रयोजन पूरे करेगा और इसलिए प्रस्‍तावित संविधान के विभिन्‍न पक्षों पर गहराई से अनुसंधान करने के लिए अनेक समितियों की नियुक्ति की गई। सिफारिशों पर चर्चा, वादविवाद किया गया और भारतीय संविधान पर अंतिम रूप देने से पहले कई बार संशोधित किया गया तथा 3 वर्ष बाद 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

जबकि भारत 15 अगस्‍त 1947 को एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र बना, इसने स्‍वतंत्रता की सच्‍ची भावना का आनन्‍द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्‍वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्‍ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्‍टेडियम पहुंचा जहां उन्‍होंने राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया।

तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्‍यौहार की तरह और राष्‍ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्‍व है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्‍डार में निहित है। आइए अब गर्व पूर्वक इसे जानें कि हमारे संविधान का आमुख क्‍या कहता है।

395 अनुच्‍छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है

26 जनवरी 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुए। यही वह दिन था जब 1965 में हिन्‍दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया। 

26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था

हमारा संविधान देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। संविधान लागू होने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्तमान संसद भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति की शपथ ली थी और इसके बाद पांच मील लंबे परेड समारोह के बाद इरविन स्टेडियम में उन्होंने राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया था।

इस अवसर के महत्‍व को दर्शाने के लिए हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्‍साह के साथ मनाया जाता है, और राजधानी, नई दिल्‍ली में राष्‍ट्र‍पति भवन के समीप रायसीना पहाड़ी से राजपथ पर गुजरते हुए इंडिया गेट तक और बाद में ऐतिहासिक लाल किले तक शानदार परेड का आयोजन किया जाता है।

आयोजन

यह आयोजन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर अमर जवान ज्‍योति पर पुष्‍प अर्पित करने के साथ आरंभ होता है, जो उन सभी सैनिकों की स्‍मृति में है जिन्‍होंने देश के लिए अपने जीवन कुर्बान कर दिए। इसे शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया जाता है और राष्‍ट्रीय गान होता है। इस प्रकार परेड आरंभ होती है।

महामहिम राष्‍ट्रपति के साथ एक उल्‍लेखनीय विदेशी राष्‍ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्‍हें आयोजन के मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।

राष्‍ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं। भारत के राष्‍ट्रपति, जो भारतीय सशस्‍त्र बल, के मुख्‍य कमांडर हैं, विशाल परेड की सलामी लेते हैं। भारतीय सेना द्वारा इसके नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन किया जाता है जैसे टैंक, मिसाइल, राडार आदि।

इसके शीघ्र बाद राष्‍ट्रपति द्वारा सशस्‍त्र सेना के सैनिकों को बहादुरी के पुरस्‍कार और मेडल दिए जाते हैं जिन्‍होंने अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व साहस दिखाया और ऐसे नागरिकों को भी सम्‍मानित किया जाता है जिन्‍होंने विभिन्‍न परिस्थितियों में वीरता के अलग-अलग कारनामे किए।

इसके बाद सशस्‍त्र सेना के हेलिकॉप्‍टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुडियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्‍ट करते हैं।

सेना की परेड के बाद रंगारंग सांस्‍कृतिक परेड होती है। विभिन्‍न राज्‍यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। प्रत्‍येक राज्‍य अपने अनोखे त्‍यौहारों, ऐतिहासिक स्‍थलों और कला का प्रदर्शन करते है। यह प्रदर्शनी भारत की संस्‍कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्‍यौहार का रंग देती है।

विभिन्‍न सरकारी विभागों और भारत सरकार के मंत्रालयों की झांकियां भी राष्‍ट्र की प्र‍गति में अपने योगदान प्रस्‍तुत करती है। इस परेड का सबसे खुशनुमा हिस्‍सा तब आता है जब बच्‍चे, जिन्‍हें राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार हाथियों पर बैठकर सामने आते हैं। पूरे देश के स्‍कूली बच्‍चे परेड में अलग-अलग लोक नृत्‍य और देश भक्ति की धुनों पर गीत प्रस्‍तुत करते हैं।

परेड में कुशल मोटर साइकिल सवार, जो सशस्‍त्र सेना कार्मिक होते हैं, अपने प्रदर्शन करते हैं। परेड का सर्वाधिक प्रतीक्षित भाग फ्लाई पास्‍ट है जो भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। फ्लाई पास्‍ट परेड का अंतिम पड़ाव है, जब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान राष्‍ट्रपति का अभिवादन करते हुए मंच पर से गुजरते हैं।

गणतंत्र दिवस का आयोजन कुल मिलाकर तीन दिनों का होता है और 27 जनवरी को इंडिया गेट पर इस आयोजन के बाद प्रधानमंत्री की रैली में एनसीसी केडेट्स द्वारा विभिन्‍न चौंका देने वाले प्रदर्शन और ड्रिल किए जाते हैं।

सात क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों के साथ मिलकर संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 24 से 29 जनवरी के बीच "लोक तरंग - राष्‍ट्रीय लोक नृत्‍य समारोह" आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में लोगों को देश के विभिन्‍न भागों से आए रंग बिरंगे और चमकदार और वास्‍तविक लोक नृत्‍य देखने का अनोखा अवसर मिलता है।

बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। सभी महत्‍वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात गणतंत्र दिवस के बाद अर्थात गणतंत्र की तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट आयोजन किया जाता है। यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं।

ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी (यह महात्‍मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों द्वारा चाइम्‍स बजाई जाती हैं, जो काफी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्‍य बनता है।

इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहां से अच्‍छा" बजाते हैं।

ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार लिया जाता हैं तथा राष्‍ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं।

26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था


 हमें जान से प्यारा यह गणतंत्र हमारा,
याद रखेंगे शहीदों को और बलिदान तुम्हारा।