માઇકલ ફેરાડે
માઇકલ ફેરાડે વગર આ દુનિયા ખૂબ જ મુશ્કેલ અને અંધારામય હોત. દરેક વખતે તમે જ્યારે ફાનસ સળગાવો છો, તમારુ લેપટોપ ચાલુ કરો છો અથવા પાણી ગરમ કરવા હીટરની સ્વીચ ચાલુ કરો છો. આ બધું તેમના લીધે છે જેમણે વીજળીની શોધ કરી અને વિશ્વ અર્થકારણમાં એક ઉત્સુકતા પેદા કરી
જન્મતારીખ: 22 સપ્ટેમબર 1791
જન્મ સ્થળ: લંડન
અવશાન: 25 ઓગસ્ટ 1867 (
- आविष्कार – Faraday’s law of induction, Electrochemistry, Faraday effect, Faraday cage, Faraday constant, Faraday cup, Faraday’s laws of electrolysis, Faraday paradox, Faraday rotator, Faraday-efficiency effect, Faraday wave, Faraday wheel Lines of force.
- पुरस्कार – Royal Medal (1835 and 1846) Copley Medal (1832 and 1838) Rumford Medal (1846) Albert Medal (1866)
माइकल फैराडे (Michael Faraday)ने चुम्बक से बिजली पैदा करने का अपना सपना सच कर दिखाया। इन्हें जनरेटर के आविष्कार का श्रेय प्राप्त है। बिजलीघर और ट्रांसफार्मर फैराडे के सिद्धांतों पर ही काम करते हैं।
आइजैक न्यूटन, गांधीजी और जेम्स क्लार्क मैक्सवेल की तस्वीरों के साथ अल्बर्ट आइंस्टीन अपने अध्ययन की दीवार पर फैराडे की भी तस्वीर रखते थे। भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड, फैराडे को याद करते हुए कहते थे, “जब हम विज्ञान और उद्योग की प्रगति पर उनकी खोजों और उनके प्रभाव की मात्रा और उनके प्रभाव पर विचार करते हैं, तो सभी समय के महानतम वैज्ञानिक खोजकर्ताओं में से एक फैराडे की याद में सम्मान काम है।”
क्या आप जानते है की जिस उपकरण में आप इसे पढ़ रहे हैं और इसी से जो आवाज़ सुनते हैं और जो तस्वीरें देखते हैं , ये सब कैसे मुमकिन होता है? हमारे सन्देश बिना रुकावट लाइट के स्पीड से कैसे पहुंचते हैं? हमारे पास ये कमाल की ताकत कैसे आयी? ये सब एक इंसान के दिमाग की उपज है, गरीबी में पैदा हुआ बच्चा जिससे किसी को कोई उम्मीद नहीं थी, अगर ये इंसान न होता तो आज हम जो दुनिया देख रहे है वो ऐसी नहीं होती, उनके आविष्कारों ने दुनिया को बदल कर रख दिया ।
दो महान वैज्ञानिक Isaac Newton और Albert Einstein के बीच के दौर मे एक और महान वैज्ञानिक पैदा हुआ था बिक्कुल इन्ही के जैसा वो इंसान जिसने उस राज़ को सुलझा दिया था जिसमे newton उलझ गए थे। उस वयक्ति के बदौलत, Albert Einstein इतना आगे जा पाए और इंसान ने इतनी तरक्की कर ली।
22 September 1751 में Newington Butts, London के एक गन्दी जुग्गी बस्ती में Michael Faraday का जन्म हुआ। वे पढाई में बिकुल अच्छे नहीं थे। फैराडे एक बहुत गरीब परिवार से थे, उनके पिता James बहुत गरीब थे और लुहार का काम करते थे, पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने के कारण फैराडे बस सामान्य स्कूली शिक्षा ही कर पाए।
उनके पिता एक लोहार थे। सन् 1812 में जब इन्होंने सर हम्फ्री डेवी के भाषण सुने तो विज्ञान के प्रति इनकी रुचि जाग्रत हो गई।
13 वर्ष की उम्र से ही वे book binder का काम करने लगे , दिन में वे बुक बाँधा करते और रात में उन्हें पढ़ते , यहीं से इलेक्ट्रिसिटी को लेकर उनके जूनून की शुरुआत हुई , फैराडे ने अपना जीवन लंदन में एक book binder की नौकरी से प्रारम्भ किया, समय मिलने पर फैराडे किताबें पढ़ा करते थे। अपने सात साल के अप्रेंटिसशिप के दौरान फैराडे ने कई किताबें पढ़ीं, जिनमें इसहाक वत्स की द इंप्रूवमेंट ऑफ द माइंड शामिल थी, और उन्होंने उसमें निहित सिद्धांतों और सुझावों को अपने जीवन में उत्साहपूर्वक लागू किया। उन्होंने विज्ञान में भी रुचि विकसित की, विशेष रूप से इलेक्ट्रिसिटी में। फैराडे विशेष रूप से जेन मार्केट द्वारा रसायन विज्ञान पर पुस्तक से प्रेरित थे।
फैराडे अपने रूढ़िवादी Christian सोच को बहुत मानते थे। इससे उन्हें हमेशा एक ताकत सुकून और विनम्रता का एहसास होता था, कई सालों तक book binder का काम करने के बाद 21 वर्ष के होने के बाद फैराडे एक बड़ी दुनिया में जाने का खाब देखने लगे, और उन्हें बड़े बनने का एक मौका मिल भी गया जब एक कस्टमर ने उन्हें एक शो का टिकट दिया। उस शो का नाम था “science for the public“
science for the public show की शुआत London में royal institution में हुई थी। Humphry Davy शो के होस्ट थे , Humphry Davy उस ज़माने के एक जाने मने वैज्ञानिक थे जिन्होंने कई केमिकल एलिमेंट्स खोजे थे -जैसे की calcium और sodium , वो एक कमाल के शोमैन भी थे उनका शो लोगो को बहुत अच्छा लगता था। अपने उस शो में Davy इलेक्ट्रिसिटी का प्रदर्शन कर रहे थे लोगो को वह शो बहुत अच्छा लगा और लोगो ने तालिया बजाई। मगर फैराडे ताली नहीं बजा रहे थे, वो Davy के भाषण का एक एक शब्द लिख रहे थे, बुक बंधन का काम उन्हें आता था इसलिए उन्होंने उसे एक किताब की शक्ल में बाँध कर रख लिया।
उन्होंने उस किताब जिसमे Davy के व्याख्यान लिखे थे Davy को देने चले गए, उन्हें ये लगा की ऐसा करने से उन्हें Davy से मिलने का मौका मिल जायेगा। और असल में यह तौफा फैराडे की एक नयी दुनिया में पहुचने का वजह भी बना। फैराडे ने बाद में Davy को 300 पन्नों की यह पुस्तक भेजी, जो इन व्याख्यानों के दौरान उनके द्वारा लिए गए नोट्स पर आधारित थी। Davy का जवाब तत्काल, दयालु और अनुकूल था।
40 साल की उम्र तक उन्होंने electric motor, transformer, और जनरेटर – मशीनो का आविष्कार कर लिया था उनके आविष्कारों ने हर चीज़ को बदला। 60 साल की उम्र में भी काम यादाश्त और depression के बाबजूद वे इन नज़र ना आने वाली ताकतों की खोज में लगे रहते थे। electricity, magnetism और लाइट के बीच ताल मेल को पता लगाने के बाद फैराडे ये जानना चाहते थे कि, ये तीनों एक साथ कैसे काम करती है, फैराडे जानते थे electric current किसी भी तार को चुम्बक में बदल सकता है, इसलिए उन्हें उम्मीद थी की जिस तार से electricity गुजरती है उस तार के चारो ओर लोहे का छीलन डालने से वैसा ही pattern बने गा जैसा चुम्बक के पास डालने से बनता है, माइकल फैराडे ने वो राज़ हल कर दिया था, जिसे Isaac Newton नहीं सुलझा पाए थे।
जून 1832 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने faraday को Doctor of Civil Law की डिग्री प्रदान की। अपने जीवनकाल के दौरान, उन्हें विज्ञान के लिए उनकी सेवाओं के लिए मान्यता में एक knighthood की पेशकश की गई, जिसे उन्होंने धार्मिक आधार पर ठुकरा भी दिया, यह मानते हुए कि यह धन सांसारिक पुरस्कार का पीछा करने के लिए बाइबल के शब्द के खिलाफ था, और यह कहते हुए कि वह सादा रहना पसंद करते हैं। वे 1824 में Royal Society के सदस्य चुने गए, उन्होंने दो बार राष्ट्रपति बनने से भी इनकार कर दिया। वह 1833 में रॉयल इंस्टीट्यूशन में केमिस्ट्री के पहले Fullerian Professor बने।
1832 में, faraday को American Academy of Arts and Sciences का विदेशी मानद सदस्य चुना गया। उन्हें 1838 में Royal Swedish Academy of Sciences का एक विदेशी सदस्य चुना गया, और 1844 में French Academy of Sciences में चुने गए आठ विदेशी सदस्यों में से एक भी थे। 1849 में उन्हें नीदरलैंड्स के रॉयल इंस्टीट्यूट से संबद्ध सदस्य के रूप में चुना गया, जो दो साल बाद Royal Netherlands Academy of Arts and Sciences बन गया और बाद में उन्हें विदेशी सदस्य बना दिया गया।
Faraday को 1839 में एक nervous breakdown का सामना करना पड़ा, 1848 में Prince Consort द्वारा प्रतिनिधित्व के परिणामस्वरूप, faraday को सभी खर्चों और रखरखाव से मुक्त, मिडलसेक्स में हैम्पटन कोर्ट में एक अनुग्रह और अनुग्रह घर से सम्मानित किया गया। यह मास्टर मेसन हाउस था, जिसे बाद में faraday हाउस कहा जाने लगा, और अब नंबर 37 हैम्पटन कोर्ट रोड। 1858 में फैराडे वहां रहने के लिए कहे गए। ब्रिटिश सरकार के लिए कई विभिन्न सेवा परियोजनाओं को प्रदान करने के बाद, जब सरकार ने Crimean War (1853-1856) में उपयोग के लिए रासायनिक हथियारों के उत्पादन पर सलाह देने के लिए कहा, faraday ने नैतिक कारणों का हवाला देते हुए भाग लेने से इनकार कर दिया।
25 अगस्त 1867 को 75 वर्ष की आयु में Michael Faraday की हैम्पटन कोर्ट में उनके घर पर मृत्यु हो गई।
इतने परेशानिओं के बाद भी faraday जीवन भर अपने कार्य में लगे रहे, और वैज्ञानिक इतिहास में सफलता प्राप्त की उनके अविष्कारों के कारण ही उनके बाद आये वैज्ञानिकों ने विज्ञान को इतने आगे बढ़ाया।